12 अप्रैल 2010

प्रयोग क्षेत्र और प्रयुक्ति

दिनांक 5-4-10 को उपरोक्त विषय पर भाषा-विद्यापीठ के विद्यार्थियों द्वारा सामूहिक परिचर्चा की गई। इसमें सर्वप्रथम यह बात हुई कि शब्दों के प्रयोग के अलग-अलग क्षेत्र होते हैं। इन क्षेत्रों के आधार पर उनके अलग-अलग अर्थ होते हैं। जैसे- ‘चार्ज’ शब्द का प्रशासन में अर्थ है ‘कार्यभार’; पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किए जाने पर इसका एक अलग अर्थ ‘भीड‌ पर लाठी से प्रहार’ हो जाता है। इसी प्रकार बैटरी चार्ज करने में चार्ज का अर्थ ‘उसकी विद्युत उर्जा को बढ़ाना’ हो जाता है। अत: किसी शब्द का किसी क्षेत्र विशेष में जो प्रयोग होता है उसे प्रयुक्ति (register) कहते हैं और उसके प्रयोग का क्षेत्र-विशेष ‘प्रयोग क्षेत्र’ (domain) कहलाता है।
आगे की चर्चा में देखा गया कि सामान्य (general) रूप में प्रयोग-क्षेत्र (domain) और प्रयुक्ति (register) का अर्थ बहुत विस्तृत होता है किंतु हमारी चर्चा में इसे समाजभाषाविज्ञान (sociolinguistics) के एक टर्म के रूप में देखा जाएगा। प्रयुक्ति (register) शब्द का भाषाविज्ञान में प्रयोग सर्वप्रथम 1956 में किया गया था। Thomas Bertram Reidin द्वारा भाषिक विविधता (language variation) के क्षेत्र में इसका प्रयोग किया गया था। हैलिडे ने भी कहा है कि प्रत्येक वक्ता के पास एक अलग समय में अलग प्रकार के अर्थों के चयन का विकल्प होता है। इसके बाद इसे कोड से जोड़कर भी देखा गया।
अंत में चर्चा करते हुए यह बात निकलकर सामने आई कि प्रयोग-क्षेत्र (domain) और प्रयुक्ति (register) सामान्यत: बहुत विस्तृत है, जहाँ हम इन्हें अलग-अलग भी समझ सकते हैं। किंतु जब हम समाजभाषाविज्ञान के अंतर्गत इनकी चर्चा करते हैं तो दोनों एक दूसरे के बिना नहीं आ सकते। समाज में भाषा का अध्ययन करते हुए हमें कुछ भाषाई इकाइयों मुख्यत: शब्दों के अलग-अलग अर्थ प्राप्त होते हैं। इन शब्दों के अनुप्रयोग के आधार पर (आवश्यक्ता के अनुसार) कुछ विशेष क्षेत्रों का निर्धारण कर दिया जाता है। ये क्षेत्र- विशेष ही प्रयोग-क्षेत्र कहलाते हैं। इन क्षेत्रों में शब्दों के जो रूप या प्रयोग मिलते हैं उन्हें प्रयुक्ति (register) कहते हैं।
(भाषा-विद्यापीठ में होने वाले मासिक परिचर्चा का सारांश)
प्रस्तुति धनजी प्रसाद
एम.ए., भाषा प्रौद्योगिकी विभाग

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