03 अगस्त 2009

संपादक के की-बोर्ड से ...

कहा जाता है कि मनुष्य को भाषा ने ही अन्य प्राणियों से अलग और श्रेष्ठ बनाया है। भाषा की शक्ति को कोई नकार नहीं सकता। फिर भी यह प्रश्न उठता है कि मनुष्यों के बीच भाषा आयी कहाँ से ? इस प्रश्न के उत्तर में ज्यादा गहराई तक न जाकर मोटे तौर यह कहा जा सकता है कि भाषा समाज से उत्पन्न हुई है। समाज अर्थात् मनुष्यों से उत्पन्न । भाषा के विकास के साथ ही समाज का विकास होता रहा है।
नए समाज की संकल्पना और अभिजात्य व लोक-समाज की पहचान का माध्यम भी भाषा ही बनी। प्रजातंत्र की प्रसिद्ध परिभाषा के अनुसार भाषा के संदर्भ में भी कहा जा सकता है कि ’भाषा समाज की, समाज के लिए और समाज द्वारा निर्मित है।’ इस बात को आज इक्कीसवीं सदी में प्रमाणित करने की जरूरत नहीं है जब मीडिया, विज्ञापनों आदि की भाषा आज हम सबके सामने है और इनकी भाषा पर निरंतर विचार-विमर्श होता रहता है। इस सदी में तो भाषा को प्रौद्योगिकी ने और भी आगे ले जाकर नए शोध और विमर्श का विषय बना दिया है। हमारी सबसे बड़ी संपर्क भाषा हिन्दी के साथ अन्य भारतीय भाषाओं का भी विकास प्रौद्योगिकी के माध्यम से और भी तेजी से हो रहा है जिसमें भाषाविद तथा प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ एक साथ मिलकर हिंदी भाषा को एक नया आयाम प्रदान कर रहे हैं। चाहे अनुवाद का क्षेत्र हो जहाँ MATRA 2 ने google translator को पीछे छोड़ दिया है या भाषा से संबंधित अन्य क्षेत्र जैसे सूचना प्रद्यौगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी विप्रो इंफोटेक ने आतंकवाद और अपराध से लड़ने के लिए एक नया सॉफ्टवेयर विकसित किया है। यह सॉफ्टवेयर हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में काम करेगा।) इसके अलावा
ब्लॉग, शिक्षा आदि सभी में आज हिंदी की पकड़ बनती जा रही है। इसकी एक प्रमुख वजह हिन्दी की अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता भी है।
आज इंटरनेट से संबंधित क्षेत्रों में अनेक विकल्प हिंदी के लिये मिल जाते हैं। इस दक्षता को हासिल करने के लिए अनेक कार्यक्रम लगभग एक दशक पहले शुरू किए गए जिसका सकारात्मक प्रभाव आज हम सबके सामने है। आज भी अनेक शोध कार्य इस क्षेत्र में जारी हैं। भाषा और प्रौद्योगिकी से जुड़े भविष्य के भाषाविदों से और भी आगे काम करने की उम्मीद है जो इस देश की भाषा और संस्कृति को एक नई पहचान और ऊंचाई पर ले जाएगें ।
इस अंक में भाषा और प्रौद्योगिकी से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों पर लेख उपलब्ध हैं। सुप्रसिद्ध भाषाविद सपीर की उपलब्धियों के साथ अमरकोश और थिसॉरस को लेकर उसके तकनिकी पक्ष की बातें मिलेंगी तो भौतिक ध्वनिविज्ञान, शब्द, पद और भाषाविज्ञान से जुड़े इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्रियों के लिंक भी मिलेंगे। आशा है इस अंक से आपको कुछ विशेष जानकारी प्राप्त होगी…
अमितेश्वर

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